हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है। सन 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं। सन् 1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आँकड़े मिलते थे, उनमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था।
वर्गीकरण
- हिंदी विश्व की लगभग 3,000 भाषाओं में से
एक है।
- भाषा–परिवार के आधार पर हिंदी भारोपीय परिवार की भाषा है।
- भारत में 4 भाषा–परिवार- भारोपीय ,द्रविड़, आस्ट्रिक व चीनी–तिब्बती मिलते हैं, भारत में बोलने वालों के प्रतिशत के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा परिवार है।
- हिंदी भारोपीय/ भारत यूरोपीय के भारतीय इरानी शाखा के भारतीय आर्य (Indo–Aryan) उपशाखा से
विकसित एक भाषा है।
- भारतीय आर्यभाषा को तीन कालों में
विभक्त किया जाता है।
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भारत में 4 भाषा–परिवार |
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भाषा-परिवार |
भारत में बोलने वालों का % |
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भारोपीय |
73% |
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द्रविड़ |
25% |
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आस्ट्रिक |
1.3% |
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चीनी–तिब्बती |
0.7% |
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भारतीय आर्यभाषा को तीन काल |
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नाम |
प्रयोग काल |
उदाहरण |
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1.प्राचीन भारतीय आर्यभाषा |
1500
ई.पू.–
500 ई. पू. |
वैदिक संस्कृत व
लौकिक संस्कृत |
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2.मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा |
500
ई. पू.–
1000 ई. |
पाली ,प्राकृत , अपभ्रंश |
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3.आधुनिक भारतीय आर्यभाषा |
1000
ई.–
अब तक |
हिन्दी और हिन्दीतर
भाषाएँ – बागला ,उड़िया ,मराठी |
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1.प्राचीन भारतीय
आर्यभाषा |
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नाम |
प्रयोग काल |
अन्य नाम |
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वैदिक संस्कृत |
1500
ई. पू.–
1000 ई. पू. |
छान्दस् (यास्क,पाणिनि ) |
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लौकिक संस्कृत |
1000
ई. पू.- 500 ई. पू. |
(संस्कृत भाषा पाणिनि ) |
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2.मध्यकालीन भारतीय
आर्यभाषा |
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नाम |
प्रयोग काल |
विशेष टिप्पणी |
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प्रथम प्राकृत काल– पाली |
500
ई. पू.–
1 ई. |
भारत की प्रथम देश
भाषा, भगवान बुद्ध के सारे उपदेश पालि में ही हैं। |
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द्वितीय प्राकृत काल–प्राकृत |
1
ई.–
500 ई. |
भगवान महावीर के
सारे उपदेश प्राकृत में
ही हैं। |
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तृतीय प्राकृत काल– अपभ्रंश अवहट्ट |
500
ई.–
1000 ई. 900 ई. – 1100 ई. |
संक्रमणकालीन/संक्रान्तिकालीन भाषा |
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3.आधुनिक भारतीय आर्यभाषा
(हिन्दी) |
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नाम |
प्रयोग काल |
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प्राचीन हिन्दी |
1100
ई. –
1400 ई. |
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मध्यकालीन हिन्दी |
1400
ई. - 1850
ई. |
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आधुनिक हिंदी |
1850
ई. –
अब तक |
हिंदी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पाली प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है। फिर अपभ्रंश, अवहट्ट से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारम्भिक हिंदी का रूप लेती है।हिंदी भाषा के
इतिहास का आरम्भ अपभ्रंश से माना जाता है।
- हिंदी का विकास क्रम- संस्कृत - पाली - प्राकृत -अपभ्रंश अवहट्ट→ प्राचीन / प्रारम्भिक हिंदी
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