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उत्तराखंड बनने की प्रक्रिया -Uttarakhand Movement -By Free Study Classes

उत्तराखंड बनने की प्रक्रिया 

उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को देश के  27 वे  राज्य के रूप में हुआ उत्तराखंड का गठन एक दीर्घ प्रक्रिया के रूप में हुआ जिसमें 1903  में कुमाऊ के गोविंद बल्लभ पंत और हरगोविंद पंत ने हैप्पी क्लब की स्थापना की जिसका उद्देश्य लोगों को एकत्रित करना था  |  सन 1916 में कुमाऊं में कुमाऊ परिषद की स्थापना की गई इसका उद्देश्य ऐसा मंच तैयार करना था जो लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान कर सके इसके संस्थापक में बद्री दत्त पांडे ,मनोहर जोशी लक्ष्मी दत्त शास्त्री आदि का नाम आता है आगे चलकर गढ़वाल क्षेत्र मे लोकतंत्र के प्रचार प्रसार हेतु दिल्ली में श्री देव सुमन ने गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की बाद में इसे हिमालय भी सेवा संघ के नाम से जाने लगा | 

 1938 में श्रीनगर में गढ़वाल कांग्रेस सम्मेलन वह जिसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि इस पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को अपनी उपस्थिति के अनुसार अपनी संस्कृति के विकास के लिए निर्णय लेने का अधिकार तथा अवसर दोनों मिलने चाहिए इसी के चलते 1946 में बद्रीदत्त पांडे और अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने इस क्षेत्र के लिए प्रथक प्रशासनिक इकाई की मांग की लेकिन 1950 में गठित हिमालय  विकास जन समिति के सरकार से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से अल्मोड़ा तक  हिमालय राज्य की मांग रखी .

सन 1952 में सबसे पहले मार्क्सवादी नेता पीसी जोशी ने पृथक राज्य  उत्तराखंड की मांग 

24 -25 जुलाई 1979 को मसूरी में हुए सम्मलेन में उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ .इसके पहले अध्यक्ष  इसी के प्रयासों से 1988 सरकार ने प्रथक राज्य  उत्तराखंड बनाने की माँग  स्वीकार की .

1988 में ही सोबन सिंह जीना ने उत्तराचल उत्थान परिषद् का गठन किया .इसी को चलते हुए  उत्तराखंड क्रांति दल ने एक सम्मलेन में  गेरशेन को  राज्य की राजधानी  की मांग रखी .

इसी समय अगस्त 1994 में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लेकर स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी आमरण अनशन पर बैठ गए जिस कारण यो आंदोलन और मजबूत होने लगा इसी के चलते महत्वपूर्ण घटनाएं घटी -

खटीमा कांड (1 सितंबर 1994 )

मसूरी कांड (2 सितंबर 1994 )

रामपुर तिराहा कांड (2 अक्टूबर 1994 )

श्रीयंत्र टापू की घटना (10 नवंबर 1995)

 इसी परिस्थितियों के चलते 15 अगस्त 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने लाल किले की प्राचीर से राज्य पृथक राज्य गठन की घोषणा की उत्तराखंड राज्य गठन संबंधी विधेयक 1 अगस्त 2000 को लोकसभा तथा 10 अगस्त 2000 को राज्यसभा में पारित हुआ और 28 अगस्त 2000 को तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण द्वारा अनुमोदित किया गया इस प्रकार 9 नवंबर 2000 को उत्तरांचल अस्तित्व में आया लेकिन जन भावनाओं के चलते 1 जनवरी 2007 को इसका नाम बदलकर उत्तराखंड रख दिया गया जो देश का 11 पर्वतीय राज्य बना और इसे अप्रैल 2001 में से विशेष राज्य का दर्जा दिया गया

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