Skip to main content

दसवी पास भर्ती 2021 कृषि विभाग में निकली बम्पर भर्ती

 भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान Vacancy 2021

Indian Agriculture Research Institute requirement 2021

फॉर्म भरने की प्रारंभिक तिथि – 18 दिसंबर 2021

फॉर्म भरने की अंतिम तिथि – 10 जनवरी 2021

शैक्षिक योग्यता – 10th

Website – www.iari.res.in

No Of Vacancies





Fee structure 






Syllabus 











Comments

Popular posts from this blog

हिंदी भाषा का विकास का क्रम - Hindi Bhasha by free Study Channel

  हिंदी   भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है। सन 2001 की जनगणना के अनुसार , लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी    का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं , जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं। सन् 1998 के पूर्व , मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आँकड़े मिलते थे , उनमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था। वर्गीकरण हिंदी विश्व की लगभग 3,000 भाषाओं में से एक है। भाषा – परिवार के आधार पर हिंदी भारोपीय परिवार की भाषा है।  भारत में  4 भाषा – परिवार- भारोपीय , द्रविड़ , आस्ट्रिक व चीनी – तिब्बती मिलते हैं, भारत    में बोलने वालों के प्रतिशत के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा परिवार है। हिंदी भारोपीय/ भारत यूरोपीय    के भारतीय इरानी    शाखा के भारतीय आर्य ( Indo–Aryan) उपशाखा से विकसित एक भाषा है। भारतीय आर्यभाषा को तीन कालों में विभक्त किया जाता है। भारत में 4 भाषा – परिवार ...

उत्तराखंड बनने की प्रक्रिया -Uttarakhand Movement -By Free Study Classes

उत्तराखंड बनने की प्रक्रिया  उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को देश के  27 वे  राज्य के रूप में हुआ उत्तराखंड का गठन एक दीर्घ प्रक्रिया के रूप में हुआ जिसमें 1903  में कुमाऊ के गोविंद बल्लभ पंत और हरगोविंद पंत ने हैप्पी क्लब की स्थापना की जिसका उद्देश्य लोगों को एकत्रित करना था  |  सन 1916 में कुमाऊं में कुमाऊ परिषद की स्थापना की गई इसका उद्देश्य ऐसा मंच तैयार करना था जो लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान कर सके इसके संस्थापक में बद्री दत्त पांडे ,मनोहर जोशी लक्ष्मी दत्त शास्त्री आदि का नाम आता है आगे चलकर गढ़वाल क्षेत्र मे लोकतंत्र के प्रचार प्रसार हेतु दिल्ली में श्री देव सुमन ने गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की बाद में इसे हिमालय भी सेवा संघ के नाम से जाने लगा |   1938 में श्रीनगर में गढ़वाल कांग्रेस सम्मेलन वह जिसमें पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि इस पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को अपनी उपस्थिति के अनुसार अपनी संस्कृति के विकास के लिए निर्णय लेने का अधिकार तथा अवसर दोनों मिलने चाहिए इसी के चलते 1946 में बद्रीदत्त पांडे और अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने ...